दाऊ जू, कहि स्‍याम पुकारयौ -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग रामकली



दाऊ जू, कहि स्‍याम पुकारयौ।
नीलांबर कर ऐंचि लियौ हरि, मनु बादर तैं चंद उजारयौ।
हँसत-हँसत दोउ बाहिर आए, माता लै जल बदन पखारयौ।
दतवनि लै दुहुँ करी मुखारी, नैननि कौ आलस जु बिसारयौ।
माखन लै दोउनि कर दीन्‍हौ, तुरत-मथ्‍यौ, मीठौ अति भारयौ।
सूरदास प्रभु खात परस्‍पर, माता अंतर-हेत बिचारयौ।।407।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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