दसरथ चले अवध आनंदत -सूरदास

सूरसागर

नवम स्कन्ध

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राग सारंग
दसरथ बिदा


  
दसरथ चले अवध आनंदत।
जनकराइ बहु दाइज दै करि, बार-बार पद बंदत ।
तनया जामातनि कौं समदत , नैन नीर भरि आए।
सूरदास दसरथ आनंदित, चले निसान बजाए।।27।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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