दण्डकारण्य हिन्दू पौराणिक ग्रंथ महाभारत के अनुसार एक जंगली प्रदेश था। यह बुन्देलखण्ड से कृष्णा नदी के बीच स्थित था।[1] 'महाभारत वन पर्व' के अनुसार जो मनुष्य दण्डकारण्य में जाकर स्नान करता है, उसे स्नान करने मात्र से ही सहस्र गोदान का फल प्राप्त होता है।[2]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 53 |
- ↑ महाभारत वन पर्व अध्याय 85 श्लोक 22-43