त्रिजटी सीता पै चलि आई -सूरदास

सूरसागर

नवम स्कन्ध

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राग मारू
त्रिजटा-सीता-संवाद


 
त्रिजटी सीता पै चलि आई।
मन मैं सोच न करि तू माता, यह कहि कै समुझाई।
नलकूबर कौ साप रावनहिं, तो पर बल न बसाई।
सूरदास मनु जरी सजीवनि श्री रघुनाथ पठाई॥80॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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