तेरो मरम नहिं पायौ रे जोगी -मीराँबाई

मीराँबाई की पदावली

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कर्मफल




तेरो मरम नहिं पायौ रे जोगी ।।टेक।।
आसण मांडि गुफा में बैठी, ध्यान हरी को लगायो।
गल बिच सेली हाथ हाजरियो, अंग भमूति रमायो।
मीरां के प्रभु हरिअबिनासी, भाग लिख्यो सो ही पायो ।।189।।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मरम = मर्म, रहस्य, भेद। जोगी = प्रियतम, परमात्मा। प्रासन मांहि = आसन मार कर। सेली = योगियों की माला। हाजरियो = हाथ में रखने का रूमाल। भाग... सोही = पूर्व से निश्चित।

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