मीराँबाई की पदावली
विरोध
राग पीलू
तेरो कोई नहिं रोकणहार, मगन होइ मीराँ चली । |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ अधिक भली
- ↑ सोवे
- ↑ रोकणहार = रोकने वाला। मगन = मस्त। सरम = शर्म। सैं = से। करी = कह दी। धर पटके = उपेक्षा की। ग्याँन गली = ज्ञान मार्ग से होकर। किंवडि़या = द्वार, दरवाजा। निरगुण = परमात्मा की। फूलन = फूल के पौधों में। बाजूबंद = बाँह पर पहनने का एक गहना। अधक = अधिक, विशेष। खरी = सच्ची वास्तविक। सेज सुखमणा = सुषुम्ना नाड़ी द्वारा समाधि लगा कर। सरी = बनी वा बराबरी।
विशेष - सुषुम्ना वा ब्रह्मनाड़ी की सहायता से साधना कार सहज समाधि में परमात्मलीन होने की अवस्था का वर्णन मीराँ ने, यहाँ पर श्रृंगारों से सज्जित नायिका के प्रियतम संयोग के रूपक द्वारा किया है। गहनों के नामादि का साधना संबंधी विवरणों के साथ मिलना स्पष्ट नहीं है।
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