टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ प्रेम
- ↑ सुणौ = सुनो। दयाल = कृपालु भगवन्। काढो = निकालो, पार करो। मरजी = खुशी, इच्छा। यौं = इस। कुटम कबीलो = कुटुम्ब के लोग ( देखो - पद 126 )। मतलब = दुनियादारी का स्वार्थ। गरजी = स्वार्थी। थाँरी = तुम्हारी, अपनी।
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