तुम नीके दुहि जानत गैया -कुम्भनदास

तुम नीके दुहि जानत गैया -कुम्भनदास

Prev.png



तुम नीके दुहि जानत गैया.
चलिए कुंवर रसिक मनमोहन लागौ तिहारे पैयाँ.
तुमहि जानि करि कनक दोहनी घर तें पठई मैया.
निकटहि है यह खरिक हमारो,नागर लेहूँ बलैया.
देखियत परम सुदेस लरिकई चित चहुँटयो सुंदरैया.
कुम्भनदास प्रभु मानि लई रति गिरि-गोबरधन रैया.

Next.png

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः