तुम्हरी कृपा बिनु कौन उबारे ?
अर्जुन, भीम, जुधिष्ठिर, सहदेव, सुमति नकुल बलधारे।
केस पकरि ल्यायौ दुस्सासन, राखी लाज, मुरारे।
नाना बसन बढ़ाइ दिए प्रभु, बलि-बलि नंद-दुलारे।
नगन न होत, चकित भयौ राजा, सीस धुनै, कूर मारै।
जापर कृपा करे करुनामय, ता दिसि कौन निहारै ?
जो जो जन निस्चै करि सैवै, हरि निज बिरद सँभारै।
सूरदास प्रभु अपमे जन कौं, उर तैं नैंकु न टारै।।257।।