विरह-पदावली -सूरदास
राग घनाश्री (मोहन! क्या) तुम्हारे देश में कागज और स्याही समाप्त हो गयी? (कि एक पत्र भी यहाँ नहीं भेजते।) (यहाँ तो) भूख, प्यास और निद्रा (भी) चली गयी; वियोग ने शरीर से (इन) सबको लूट लिया है। मेढक, मोर और पपीहा बोल रहे हैं और (तुम्हारे लौटने की) सब अवधि (भी) झूठी हो गयी। अरे, जब शरीर छूट जायगा (हम मर जायँगी), तब पीछे आकर तुम क्या करोगे।’ (इस प्रकार सूरदास जी के शब्दों में) श्रीराधा श्यामसुन्दर से संदेश कहती हैं (उन्हें संदेश भेजती हैं कि-) क्या तुम्हारे पास प्रेम की कमी पड़ गयी? स्वामी! तुम्हारे मिलन के बिना सखियाँ (मुझ पर) व्यंग करती हैं। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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