डारि गयो मनमोहन पासी -मीराँबाई

मीराँबाई की पदावली

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विरहानुभव

राग मलार


डारि गयो मनमोहन पासी ।। टेक ।।
आँबा की डालि कोइल इक बोलै, मेरो मरण अरुजग केरी हाँसी ।
बिरह की मारी मैं बन डोलूँ, प्रान तजूँ करवत ल्‍यूँ कासी ।
मीराँ के प्रभु हरि अबिनासी, तुम मेरे ठाकुर मैं तेरी दासी ।।67।।[1]

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. डारिगयो = डाल गया। पासी = फाँसी, बंधन। ( देखो - नेह लगाय त्यागि गये तृन सम, डारि गये गल फाँसी - सूरदास)। आँबा = आम। डालि = डाल पर। केरी = की। जग... हाँसी = लोगों के लिए तमाशा मात्र है। वन... डोलूं = बेचैन हो तड़प रही हूँ। करवत ल्यूं कासी = देखो- पद (51)। ल्यूं = लूं। ठाकुर = स्वामी।

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