ठाढे नंदद्वार गुपाल -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग रामकली


ठाढे नंदद्वार गुपाल।
बोलि लीन्हे देखि ललिता सैन दै ततकाल।।
हँसत गए हरि गेह ताकै कोउ न जानत और।
मिली हरि कौ लाइ उर भरि चापि कुचनि कठोर।।
कह्यौ मेरै धाम कबहूँ क्यौ न आवत स्याम।
'सूर' प्रभु कही आजु नागरि आइहै हम जाम।।2477।।

Next.png

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः