झूलन आईं रंग हिडोरै -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग ईमन


झूलन आई रंग हिडोरै।
पँचरँग बरन कुसुभी सारी, कचुकि सोधै बोरै।।
मुकुतामाल ग्रीव लर छूटी, छवि की उठति झकोरै।
'सूरदास' प्रभु मन हरि लीन्हौ, चपल नैन की कोरै।।2838।।

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