झूलत फूल हिंडोरे स्याम -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

श्रीराधा माधव लीला माधुरी

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राग मल्हार - तीन ताल


झूलत फूल हिंडोरे स्याम।
स्यामा-सहित, वदन सुचि सुस्मित, चहुँ दिसि फूल ललाम॥
फूल हिंडोरा, फूल सुडोरी, आसन फूल सुठाम।
ता पर सुमन-सुकोमल राजत दो‌ऊ मन अभिराम॥
फूल झूल रहे नील-पीतपट, फूलन के सृङ्गार।
करनफूल-कुंडल फूलन के, फूलन के गल-हार॥
दो‌उन के सब अंग सुसोभित विविध सुगंधित फूल।
सखी-सहचरी झूला दै-दै रहीं मनहिं-मन फूल॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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