झूठहिं सुतहिं लगावतिं खोरि।
मैं जानति उनके ढंग नीकैं बातैं मिलवतिं जोरि।।
वै सब जोबन-मद की माती, मेरौ तनक कन्हाई।
आपुन फोरि गागरी सिर तैं उरहन लीन्हे आई।।
तू उनकैं ढिग जात कतहिं है, वै पापिनि सब नारि।
सूर स्याम अब कह्यौ मानि तू, हैं सब ढोठि गँवारि।।1429।।