झुनक स्याम की पैजनियाँ।
जसुमति-सुत कौं चलन सिखावतिं, अंगुरी गहि-गहि दोउ जनियाँ।
स्याम बरन पर पीत झँगुरिया, सीस कुलहिया चौतनियाँ।
जाकौ ब्रह्मा पार न पावत, ताहि खिलावति ग्वालिनियाँ।
दूर न जाहु निकटहीं खेलौ, मैं बलिहारी रेंगनियाँ।
सूरदास जसुमति बलिहारी, सुतहिं खिलावति लै कनियाँ।।132।।