जो तुम तोड़ो पिया मैं नहिं तोड़ूँ,
तेरी प्रीत तोड़ि प्रभु कौन सँग जोडूँ।। (टेर)
तुम भये तरुवर मैं भई पँखियाँ,
तुम भये सरवर मैं तेरी मछियाँ।।1।।
तुम भये गिरवर मैं भई मोरा,
तुम भये चन्दा भई मैं चकोरा।।2।।
तुम भये मोती, (तो) मैं भई धागा,
तुम भये सोना, भई मैं सुहागा।।3।।
बाई मीराँ के प्रभु ब्रज के बासी,
तुम मेरे ठाकुर मैं तेरी दासी।।4।।
रागनी - पीलू : ताल - दीपचन्दी
(प्रेम)