जोगी मत जा मत जा मत जा -मीराँबाई

मीराँबाई की पदावली

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अनुनय


जोगी मत जा मत जा मत जा, पाँइ परूँ मैं चेरी तेरी हौं ।।टेक।।
प्रेम भगति को पैंड़ो ही न्‍यारो, हमकूँ गैल बताजा ।
अगर चँदण की चिता बणाऊँ अपणे हाथ जला जा ।
जल बल भई भस्‍म की ढेरी, अपणे अंग लगाजा ।
मीराँ कहै प्रभु गिरधर नागर, जोत में जोत मिलाजा ।।50।।[1]

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पाँइ = पैरों। चेरी = दासी। पैंडो = मार्ग। न्यारो = जुदा। गैल = रास्ता। अगर = एक सुगन्धित द्रव्य। बणाऊँ = बना देती हूँ। जलाजा = प्रज्वलित करता जा। ढेरि = राशि। अपणे = अपने। जोत = ज्योति।

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