जोगिया ने कहज्‍यो जी आदेस -मीराँबाई

मीराँबाई की पदावली

Prev.png
विरह निवेदन

राग सावन


जोगिया[1] ने कहज्‍यो जी आदेस ।।टेक।।
जोगियो चतुर सुजाण सजनी, ध्‍वावै संकर सेस ।
आऊँगी मैं नाह रहूँगी (रे म्‍हारा), पीव बिना परदेस ।
करि कि‍रपा प्रतिपाल मोपरि, रखो न अपणैं देस ।
माला मुदरा मेखला रे बाला, खप्‍पर लूँगी हाथ ।
जोगणि होइ जुग ढूँढसूँ रे, म्‍हाँरा रावलियारी साथ ।
सावण आवण कह गया बाला, कर गया कौल अनेक ।
गिणता-गिणता घिस गई रे म्‍हाँरा आँगलियाँरी रेख ।
पीव कारण पीली पड़ी बाला, जोबन बाली बेस ।
दास मीराँ राम भजि कै, तन मन कीन्‍हौं पेस ।।118।।[2]

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. जोगिया ने कहियो रे आदेस आऊँगी मैं नाहिं रहूँ रे, कर जटाधारी भेस ।
    चीर को फाड़ूँ कंथा पहिरूँ, लेऊँगी उपदेस ।
    गिणते गिणते घिस गई रे, मेरी उँगलियों की रेख ।
    मुद्रा माला भेपलूँ रे, खघड़ लेऊँ हाथ ।
    जोगिन होय जग ढूँढसूं रे, रावलिया के साथ ।
    प्राण हमारा वहाँ बसत है, यहाँ तो ख़ाली खोड़ ।
    मात पिता परिवार सूँ रे, रही तिनका तोड़ ।
    पाँच पचीसो बस कि‍ये, मेरा पल्‍ला न पकड़ै कोय ।
    मीरा व्‍याकुल विरहनी, कोइ आय मिलावै मोय ।
  2. ने = को। कहज्यो = कह देना। आदेस = निवेदन, संदेश। चतर सुजाण = चतुर सुजान। ध्यावै = ध्यान धरते हैं। नाह = नहीं। म्हारा = अपने। प्रतिपाल = अनुग्रह। मुदरा = योगियों का मुद्रा नामक कर्ण भूषण। मेखला = योगियों की कर्धनी। बाला = बाल्हा बल्लभ, प्यारे। खप्पर = भिक्षापात्र। जुग = जग, संसार भर। ढूंझसूँ = खोजूँगी। रावलियारी = अपने राजा के। कौल = करार। गिणता... रेख = इतनी बार अवधि के दिन गिनने पड़े कि अँचुलियों की रेखायें तक मिटने लगीं वा मिट गईं। पीली पड़ी = मुरझा गई। वाली = नवीन, नई। पेस = पेश, समर्पण।
    विशेष - विरहिणी द्वारा आने की अवधि गिनने के विषय में देखिये 'दिन औधि के कैसे गनौ सजनी, अँगुरीन के पोरन छाले परे'- ठाकुर।

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः