जैसै राखहु तैसैं रहौं -सूरदास

सूरसागर

प्रथम स्कन्ध

Prev.png
राम कल्‍यान




जैसै राखहु तैसैं रहौं।
जानत हौं दुख-सुख सब जन के, मुख करि कहा कहौं ?
कबहुँक भोधन लहौं कृपानिधि, कबहुँक, भूख सहौं।
कबहुँक चढौं तुरंग, महा गज, कबहुक भार बहौं।
कमल-नयन, धन-स्‍याम-मनोहर, अनुचर भयौ रहौं।
सूरदास-प्रभु भक्‍त-कृपानिधि, तुम्‍हरे चरन गहौं।।161।।

इस पद के अनुवाद के लिए यहाँ क्लिक करें
Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः