जाकौं प्रभु अपनो करि -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

प्रेम तत्त्व एवं गोपी प्रेम का महत्त्व

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राग तोड़ी - तीन ताल


जाकौं प्रभु अपनो करि लीन्हों।
जाकौ चरन-सरन दै सबसौं सहज अभय करि दीन्हों॥
जाकौ हृदय लगाय कह्यौ- ’तू सबै भाँति जन मेरो’।
सो क्यों होय सोच-चिंता बस प्रभु चरननि को चेरो॥
जग के दुःख दोष नहिं कबहूँ, ताकौं भेंटन आवैं।
दूरहि तैं तेहि देखि सुरच्छित, दौरि सबै दुरि जावे॥
सुर मुनि सिद्ध सुयोगी ताकौ भाग्य सराहत थाकै।
अखिल विस्वपति प्रभु सुख मानत, गले लगत अति जाकै॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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