जसोदा मैया काहे न मंगल गावै।
पूरन ब्रह्म सकल अविनासी ताकौ गोद खिलावै।।
कोटि कोटि ब्रह्मा सिवमुनि जन जाकौ ध्यान लगावै।
ना जानौ यह कौन पुन्य तै सो तुव धेनु चरावै।।
ब्रह्मादिक सनकादिक नारद जप तप ध्यान न आवै।
सेस सहसमुख जपत निरंतर हरि कौ पार न पावै।।
सुंदर बदन कमल-दल-लोचन गोधन कै सँग आवै।
करति आरती मातु जसोदा 'सूरदास' बलि जावै।। 27 ।।