जसुमति तू जू कहति हँसी माई -सूरदास

सूरसागर

1.परिशिष्ट

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राग बिलावल
प्रथम माखन-चोरी





जसुमति तू जू कहति हँसी माई।
इहै उरहनौ सत्य करन कौ हरिहि पकरि लै आई।।
दिन प्रति देन उरहनौ आवति कहा तिहारी काई।
देखन चली जु सुत लै अपनौ वह चलि गयी पराई।।
तेरे हियै नैन मति नाहिंन बदन देखि लखि पाई।
तै जो नाम कान्ह मेरे कौ सूधी करि है पाई।।
सुनि री सखी कहति डोलति हौ इहि काहू सिख पाई।
'सूरदास' वा नागर सब मैं उहि कौनै सिखराई।। 17।।


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