जला दो उर मेरे विरहानल -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

वंदना एवं प्रार्थना

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राग आसावरी - तीन ताल


जला दो उर मेरे विरहानल।
प्रियतम! बिना तुम्हारे, बीते दु:खमय युग-सम मेरा पल-पल॥
भोगासक्ति-कामना-ममता जग-ज्वाला‌एँ सब जायें जल।
मिट जाये सब दुःखयोनि आद्यन्तवन्त भोगों का अरि-दल॥
जाग उठे दैवी गुण, हो वैराग्य-राग-रंजित अन्तस्तल।
मिलन तुम्हारा हो, मिल जाये मानव-जीवन का यथार्थ फल॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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