जय जय ब्रजराज-तनय ब्रजबन-बिहारी -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

श्रीराधा माधव स्वरूप माधुरी

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राग झिंझोटी - ताल दादरा


जय जय ब्रजराज-तनय ब्रजबन-बिहारी।
सोहत बर लकुटी कर, मोर-मुकुट मस्तकपर,
मुरली धर मधुर अधर, जमुना-तट-चारी।
नील बदन पीत बसन, संग ग्वाल-गोपीजन,
मुनि-मन-हर मंद-हसन, गुंज-माल-धारी॥
भ्रमर करत मधुर गुंज, सुरभित तन कंज-पुंज,
बिहरत निकुंज-कुंज राधा-मन-हारी।
निरतत नटबर-सुबेस, सोहैं सिर कुँचित केस,
हरत मदन-मद असेस गोपी-सुख-कारी॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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