जब कर बेनु सची बलवीर।
स्रवन सुनत सुर नर जु थकित भए सरिता थकित बहत नहि नीर।।
सागर थकित कमठ पुनि बिथक्यौ सेस सहस मुख धरत न धीर।
सिव थकि ध्यान ज्ञान ब्रह्मा थके गोसुत थकित पिवत नहि छीर।।
पवन थकित अरु थकि बनबेली बनिता थकित बिसारे चीर।
'सूरदास' प्रभु थकित जसोदा उड़गन थकित रहे इहि तीर।। 15 ।।