जग में मरकर, तुममें जीवन।
पाऊँ मैं, प्यारे जीवनधन!
लीला ललित चले अति शोभन।
बनूँ मैं सुन्दर लीलागार।
तुम्हारा हो पूरा अधिकार॥
रोना तजकर सदा हँसूँ मैं,
प्रेम-रज्जु से तुम्हें कसूँ मैं,
तुममें ही, बस, नित्य बसूँ मैं,
सुखी हो मुझसे सब संसार।
तुम्हारे यश का हो विस्तार॥