जंत्र मंत्र कह जानै मेरौ?
यह तुम जाइ गुनिनि कौं बूझौ, इहाँ करति कत झेरौ।।
आठ बरस कौ कुँवर कन्हैया, कहा कहति तुम ताहि?
किनि बहकाइ दई है तुमकौं, ताहि पकरि लै जाहि।।
मैं तौ चकित भई हौं सुनि कै, अति अचरज यह बात।
सूर स्याम गारुड़ी कहाँ कौ, कहँ आई बतितात।।753।।