छीतस्वामी की रचनाओं का समय सन 1555 ई. के आस-पास माना जाता हैं। इनके केवल 64 पदों का पता चला है। उनका अर्थ-विषय भी वही है, जो 'अष्टछाप' के अन्य प्रसिद्ध कवियों के पदों का है। जैसे-
- आठ पहर की सेवा।
- कृष्ण लीला के विविध प्रसंग।
- गोसाईं जी की बधाई।
- छीतस्वामी के पदों का एक संकलन विद्या-विभाग, कांकरौली से 'छीतस्वामी' शीर्षक से प्रकाशित हो चुका है। इनके पदों में श्रृंगार के अतिरिक्त ब्रजभूमि के प्रति प्रेमव्यंजना भी अच्छी पाई जाती है।
छीतस्वामी के प्रसिद्ध पद
- भई अब गिरिधर सों पैहचान -छीतस्वामी
- गोवर्धन की सिखर चारु पर -छीतस्वामी
- बादर झूम झूम बरसन लागे -छीतस्वामी
- हमारे श्री विट्ठल नाथ धनी -छीतस्वामी
- लाल ललित ललितादिक संग लिये -छीतस्वामी
- धन्य श्री यमुने निधि देनहारी -छीतस्वामी
- आगे गाय पाछें गाय इत गाय उत गाय -छीतस्वामी
- जा मुख तें श्री यमुने यह नाम आवे -छीतस्वामी
- धाय के जाय जो श्री यमुना तीरे -छीतस्वामी
- सुमिर मन गोपाल लाल सुंदर अति रूप जाल -छीतस्वामी
- भोर भए नवकुंज सदन तें -छीतस्वामी
- भोग श्रृंगार यशोदा मैया -छीतस्वामी
- जय जय श्री सूरजा कलिन्द नन्दिनी -छीतस्वामी
- गुण अपार मुख एक कहाँ लों कहिये -छीतस्वामी
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