छिरकत स्याम छबीली राधा -सूरदास

सूरसागर

1.परिशिष्ट

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राग बसंत
बसंतलीला




छिरकत स्याम छबीली राधा चंदन बदन बोरी।
आबिर गुलाल बिबिध रँग सीधे लोचन भरि रहै रोरी।।
सरबस कियौ वृषभानु नंदिनी नैननि फँदाही डोरी।
‘सूर’ के प्रभु गिरिधरन लाल भरि, रही प्रेम अँकोरी।। 117 ।।

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