छांडो लँगर मोरी बहियाँ गहोना -मीराँबाई

मीराँबाई की पदावली

Prev.png





छांडो लँगर मोरी बहियाँ गहोना ।। टेक ।।
मैं तो नार पराये घर की, मेरे भरोसे गुपाल रहोना ।
जो तुम मेरी बहियां गहत हो, नयन जोर मोरे प्राण हरोना ।
बृन्दाबन की कुंज गली में, रीति छोड़ अनरीत करोना ।
मीरां के प्रभु गिरधर नागर, चरण कमल चितटारे टरोना ।।173।।[1]



Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मोहने = मोहन वा कृष्ण ने। कहा = क्या। प्रान... वर्यो = मेरे प्राण प्रियतम से मिल गये, अथवा प्रियतम द्वारा मेरे प्राण अंगीकृत हो गये, अपना लिये गए। हूँ = मैं। कलस = जल का घड़ा। कछुक... कर्यो = कुद अजीब ढंग का प्रभाव डाल दिया। कारज सर्यो = कार्य सिद्ध हुआ। छान = छिपे छिपे, गुप्त रूप से।

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः