श्री श्रीचैतन्य-चरितावली -प्रभुदत्त ब्रह्मचारी140. श्री सनातन की कारागृह से मुक्ति और काशी में प्रभु-दर्शन
इनका वेश मुसलमान फकीरों-सा था। भिक्षा मांगते हुए और गौर-नाम का जप करते हुए ये श्री काशीजी में पहुँचे। वहाँ इन्हें पता चला कि महाप्रभु चन्द्रशेखर के घर पर ठहरे हुए हैं। इस समाचार को सुनते ही ये परम उल्लास के सहित चन्द्रशेखर जी के घर के पास पहुँचे और बाहर बैठकर प्रभु-दर्शनों की प्रतीक्षा करने लगे। प्रेम में भी कितना अधिक आकर्षण होता है, घर के भीतर बैठे हुए महाप्रभु ने सनातन जी का आगमन जान लिया और पास में बैठे हुए चन्द्रशेखर से उन्होंने कहा- 'चन्द्रशेखर! बाहर एक वैष्णव साधु बैठे हैं, उन्हें बुला लाओ।' बाहर जाकर चन्द्रशेखर ने देखा कि यहाँ तो कोई वैष्णव साधु है नहीं। भीतर लौटकर उन्होंने प्रभु से कहा- 'प्रभो! वहाँ तो कोई वैष्णव साधु है नहीं।' प्रभु ने हंसकर कहा- 'हाँ है, जरूर है, तुम अच्छी तरह से खोजो।' चन्द्रशेखर फिर गये, किन्तु वहाँ एक मुसलमान दरवेश के सिवा कोई वैष्णव साधु उनके देखने में नहीं आया। उन्होंने आकर हैरानी के साथ कहा- 'प्रभो! एक मुसलमान दरवेश तो द्वार पर बैठा है। उसके अतिरिक्त कोई वैष्णव साधु तो मुझे फिर भी नहीं दीखा।' प्रभु ने मुसकराकर कहा- ‘जिसे तुम मुसलमान दरवेश समझते हो वही परम भागवत वैष्णव है, उसी को मेरे पास लाओ।’ प्रभु की आज्ञा से चन्द्रशेखर श्री सनातन जी को साथ लेकर भीतर आये। सनातन ने दूर से ही भूमि पर लेटकर प्रभु के चरणों में प्रणाम किया। प्रभु जल्दी से उठकर उन्हें आलिंगन करने के लिये दौड़े। प्रभु को देखते ही वे सर्प को देखकर डरते हुए की भाँति पीछे हटते हुए दीनता के साथ प्रभु से कहने लगे- 'प्रभो! मुझको स्पर्श न कीजिये। नाथ! मैं आपके स्पर्श के योग्य नहीं हूँ।' भक्तवत्सल गौरांग कब सुनने वाले थे। वे जोरों से सनातन जी को आलिंगन करते हुए कहने लगे- 'आज मैं पावन बन गया, जो सनातन जी की देहसे स्पर्श हो गया। सनातन जी के अंगस्पर्श से पापियों को भी श्रीकृष्ण प्रेम की प्राप्ति हो सकती है।' सनातन जी प्रभु के कृपाभार से दब-से गये। प्रभु ने उन्हें अपने पास ही आसन दिया और उनसे कारावास का सब वृत्तान्त पूछा, सब वृत्तान्त सुनकर प्रभु ने कहा- 'तुम्हारे दोनों भाई मुझे प्रयाग में मिले थे, वे वृन्दावन गये है। तुम कुछ काल यहीं मेरे पास रहो।' प्रभु की आज्ञा पाकर सनातन चुपचाप नीचे को सिर किये हुए बैठे रहे। प्रभु उनके ही सम्बन्ध में सोचते रहे। |