चूक परी मोतै मै जानी, मिलै स्याम वकसाऊँ री।
हा हा करि दसननि तृन धरि धरि, लोचन नीर वहाऊँ री।।
चरन कमल गाढै गहि कर सौ, पुनि पुनि सीस छुवाऊँ री।
मुख चितवौं, फिरि धरनि निहारौ, ऐसै रुचि उपजाऊँ री।।
मिलौ धाइ अकुलाइ, भुजनि भरि, उर की तपति जनाऊँ री।
'सूर' स्याम अपराध छमहु अब, यह कहि कहि जु सुनाऊँ री।।2103।।