चल भामिनि की भौहै बंक -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग सारंग


चल भामिनि की भौहै बंक।
अलक-तिलक-छवि चित्र लिखी सी, स्रुति मंडल ताटंक।।
तेरौ रूप कहाँ लौं बरनौ, नागरता कौ अंक।
उर सुदेस रोमावलि राजति, मृगअरि की सी लंक।।
सायक नैन सुभग अनियारे, मृगमन गहत निसंक।
'सूरज' चरित चुनौती पठवत, भयौ मदन मन रंक।।2744।।

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