गो-ब्राह्मण रक्षा के हित नित -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

अभिलाषा

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राग भैरवी - ताल कहरवा


गो-ब्राह्मण-रक्षा के हित नित रहें सहज न्योछावर प्राण।
करते रहें सभी निज सुख दे, सबका ही अविरत कल्याण॥
रहे एक परमार्थवाद, सब मिटें दूसरे वाद-विवाद।
अग-जग अखिल शान्ति-सुख पायें, मिटें शोक-भ्रम-भीति-विषाद॥
मिटे आशु तम अशुचि, शीघ्र हो शुद्ध ज्योति का उदय महान्‌।
सब में सदा दिखायी दो सर्वत्र तुम्हीं मुझको भगवान्‌॥
सबका हित, सबकी सेवा नित बने, तुम्हारे ही प्रीत्यर्थ।
तुम्हीं सभी कुछ रहो, राम! बस, मेरे एक अर्थ-परमार्थ॥
इन्द्रिय सभी त्याग भोगों को, करें तुम्हारा ही सभोग।
स्मरण करे मन नित्य तुम्हारा, रहे बुद्धि का तुम में योग॥
रहे विराग सदा भोगों से रहे सदा ही सजग विवेक।
रहे सदा प्रभु-कृपा बरसती, टले न कभी प्रीति की टेक॥
रहे सदा रति प्रभु-चरणों में, रहे भक्तिगत चित्त अनन्य।
शान्ति-सुधा-सागर-निमग्र अति मधुर साधु-जीवन हो धन्य॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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