गोपी गीत -करपात्री महाराज पृ. 413

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गोपी गीत -करपात्री महाराज

गोपी गीत 16

जैसे तैजस चक्षु तैजस गुण को, आकाशीय श्रोत्र आकाशीय-गुण शब्द को, वायवीय-त्वक् वायवीय-गुण स्पर्श को, अनायासेन ही ग्रहण कर लेते हैं वैसे ही साधक के आराधना-संस्कृत देह, मन, बुद्धि एवं अहंकार रसात्मकता को प्राप्त कर परब्रह्मा को ग्रहण कर लेते हैं। परमात्मा श्रीकृष्ण-सम्मिलन हेतु गोप-कन्याएँ कात्यायनी-व्रत कर रही थीं; उनकी उत्कट उत्कंठा के उद्रेक हेतु ही भगवान् कृष्ण ने उनके दुकूल चुराये। भगवत्-संस्पृष्ट दुकूल भगवत्-स्वरूप ही हो गए; जैसे निरावरण अग्नि-संस्पृष्ट सावरण अग्नि कोष्ठ निरावृत हो जाता है, वैसे ही निरावरण परब्रह्मा श्रीकृष्णचन्द्र आनन्दकन्द परमानन्द संस्पृष्ट सावरण ब्रह्मा दुकूल भी निरावरण ब्रहा्रस्वरूप हो गए; उन निरावरण ब्रह्मा संशिलष्ट दुकूलों को पुनः धारण करने पर गोप–कन्याओं में भी निरावरण–ब्रह्मा से एकरूपता, तादात्म्य का आविर्भाव हुआ।

रासलीला का प्रारम्भ ही वेणु-वादन से होता है। ‘तवोद्गीततमोहिताः’ वेणुगीत से मोहित होकर ही गोपांगनायें कृष्ण-सम्मिलन के लिए आतुर हो उठीं। वेणु-गीत-पीयूष- की भी नाद, गीत एवं रवभेद से तीन विभिन्न कोटियाँ हैं; वेणु-नाद अव्यक्त शब्द हैः ‘शक्रशर्वपरमेष्ठिपुरोगाः कश्मलं ययुरनिश्चिततत्त्वाः’[1] शर्व, शक्र परमेष्ठि आदि देव-गण भी वेणुनाद तत्त्व का निश्चय नहीं कर पाते अतः उसके श्रवण से कश्मल, त्यामोह को प्राप्त हो जाते हैं, मूर्च्छित हो जाते हैं।

‘व्योमयानवनिताः सह सिद्धैविस्मितास्तदुपधार्य सलज्जाः।
काममार्गणसमर्पितचिताः कश्मलं ययुरपस्मृतनीव्यः।।[2]

वृन्दावन-धाम के वृक्ष-लता गुल्मादिक भी इस दिव्य वेणु-नाद का अनुभव कर भगवत्-क्रीड़ा-विहार के आस्पद बन जाते हैं। वेणु-रव अत्यन्त अन्तरंग है। ‘रश्च वश्च अनयोः समाहारो रवं’ रं अग्नि-बीज है; वं अमृत-बीज है; विप्रलम्भात्मक संयोगात्मक उभयविध एककालावच्छेदेन उद्बुद्ध श्रृंगार-रस ही ‘रव’ है। ‘गीत’ देव-भोग्य अधर सुधा है। गीत में अक्षर स्पष्ट होते हैं। गोपांगंनाओं को प्रतीत होता कि परमात्मा श्रीकृष्ण ने अपने वेणु-गीत द्वारा भिन्न-भिन्न गोपिकाओं का नामोल्लेख कर सौन्दर्य–माधुर्य एवं गुण–गणों का गान करते हुए उनका आहवान किया।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. श्री मद्भा० 10/35/15
  2. श्रीमद्भा० 10/35/3

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गोपी गीत
क्रम संख्या विषय पृष्ठ संख्या
1. भूमिका 1
2. प्रवेशिका 21
3. गोपी गीत 1 23
4 गोपी गीत 2 63
5. गोपी गीत 3 125
6. गोपी गीत 4 154
7. गोपी गीत 5 185
8. गोपी गीत 6 213
9. गोपी गीत 7 256
10. गोपी गीत 8 271
11. गोपी गीत 9 292
12. गोपी गीत 10 304
13. गोपी गीत 11 319
14. गोपी गीत 12 336
15. गोपी गीत 13 364
16. गोपी गीत 14 389
17. गोपी गीत 15 391
18. गोपी गीत 16 412
19. गोपी गीत 17 454
20. गोपी गीत 18 499
21. गोपी गीत 19 537

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