गोपी गीत -करपात्री महाराज पृ. 278

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गोपी गीत -करपात्री महाराज

गोपी गीत 8

आप की इस मधुर वाणी, अर्थ-रूप वाणी से बुध, आस्तिक जन भी मोह को प्राप्त होते हैं।

‘अक्षय्यं हवै सुकृतं चातुर्मास्ययाजिनो भबति।’[1]

चातुर्मास्ययाजी का सुख अक्षय होता है। ‘अपाम सोमममृता अभूम’[2] हम सोम-पान द्वारा अमर हो गये आदि अर्थवाद रूपी वाणी ही मधुर या गिरा वल्गु वाक्यया है।

‘यामिमां पुष्पितां वाचं प्रवदन्त्यविपश्चितः।
वेदवादरताः पार्थ नान्यदस्तीति वादिनः।।’[3]

अर्थात, अनादि, अपौरुषेय, मंत्र-ब्रह्मणात्मक वेद की पुष्पवत् बहुशोभायमाना वाणी ही भगवान् की ‘मधुरया गिरा वल्गु वाक्यया’ है। ‘मधुवत् स्वंर्गादिफलं तत्र प्रलोभनं च राति’ स्वर्गादिफल अत्यन्त मनोहर हैं; इस मनोहर फल के प्रति आकर्षण करने वाली ‘वल्गूनि मनोहराणि वाक्यानि यस्यां’ जिसकी वाणी ‘बुध मनोज्ञयां’ बुध, लौकिक-पारलौकिक व्यवहार में दक्ष आस्तिक विद्वत्-समाज को स्वर्गादि मधुर फल में आकर्षित कर लेती है। सांसारिक अनाचार-दुराचार से निवृत्त होकर वेद-विहित सदाचार में लगना विवेकी के लिए ही सम्भव है। किन्तु यह भी सम्पूर्ण लोकैषणा, पुत्रैषणा, वित्तैषणा से विनिर्मुक्ति रूप उच्च उन्नति से कुछ निम्न श्रेणी की ही स्थिति है। अतः गोपांगनाजन कह रही हैं कि हे सखे! आपकी इस अर्थवाद रूपा मनोहर वाणी से मोहित होने वाले विद्वत् आस्तिक जनों को ‘अधरसीधुना प्यायस्व नः। अधरे वेदान्ते सीधु-सीधुरूपं ब्रह्मज्ञानं’ ब्रह्मज्ञान द्वारा आश्वस्त करें। भगवत्-साक्षात्कार ही मानव-जीवन का परम लक्ष्य है अतः केवल अर्थवाद वाक्यों द्वारा कर्मकाण्ड में निरत रहना ही बंधुजनों के लिए मोह-मूर्च्छावत् है। जैसे सुन्दरातिसुन्दर, ऐश्वर्यसुख पूर्ण नौका नदी को पार कर गन्तव्य-स्थान तक पहुँचने का माध्यम-मात्र है, वैसे ही वेद-विहित, कर्म-काण्ड रूपी नौका से भी पाशविक कर्म ज्ञान रूपी मृत्यु को पार कर ‘विद्ययाऽमृत मश्नुते’ भगवत्-तत्त्व-विज्ञान, भगवत्-भक्ति के द्वारा ऊर्ध्वभाव को प्राप्त होना ही अंतिम लक्ष्य है।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. शतपथ ब्राह्मण 2/6/31
  2. ऋ. सं. 8/48/3
  3. श्रीम. भ. गी. 2/42

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गोपी गीत
क्रम संख्या विषय पृष्ठ संख्या
1. भूमिका 1
2. प्रवेशिका 21
3. गोपी गीत 1 23
4 गोपी गीत 2 63
5. गोपी गीत 3 125
6. गोपी गीत 4 154
7. गोपी गीत 5 185
8. गोपी गीत 6 213
9. गोपी गीत 7 256
10. गोपी गीत 8 271
11. गोपी गीत 9 292
12. गोपी गीत 10 304
13. गोपी गीत 11 319
14. गोपी गीत 12 336
15. गोपी गीत 13 364
16. गोपी गीत 14 389
17. गोपी गीत 15 391
18. गोपी गीत 16 412
19. गोपी गीत 17 454
20. गोपी गीत 18 499
21. गोपी गीत 19 537

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