गोपी गीत -करपात्री महाराज पृ. 261

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गोपी गीत -करपात्री महाराज

गोपी गीत 7

श्रीविश्वनाथ चक्रवर्ती का कथन है कि गोपांगनाएँ समर्थ रतिमती हैं; प्रेम की विभिन्न अवस्थाओं में एक ‘तमर्थ-रति’ अवस्था है। तत्-सुख-सुखि भाव ही गोपांगनाओं की विशेषता है; वे स्वदुःख-निवृत्ति एवं स्व-सुख प्राप्ति, स्व-तापापनोदन तथा अभिमत सुख की आकांक्षा भी नहीं करतीं; साथ ही, सदा-सर्वदा मनसा-वाचा-कर्मणा अपने प्राणनाथ, प्राणाधार प्रियतम श्यामसुन्दर श्रीकृष्ण के सुख में ही सुख का अनुभव करती हैं। उनकी संपूर्ण चेष्टाएँ प्रियतम को प्रसन्नता हेतु ही होती हैं। परम-प्रेमवती इन गोपांगनाओं का अनुराग लोकोत्तर है। शान्त, स्वस्थ हृदय एवं गम्भीर बुद्धि से विचार करने पर ही यथार्थ महत्त्व की अनुभूति सम्भव है। प्राकृत गोपालियाँ ऐसे गम्भीर महत्तव को कदापि व्यक्त नहीं कर सकतीं; भाव-तन्मयता के कारण भक्त भगवान् को अपने पर निर्भर अनुभव करता हुआ उनके सुख के लिए प्रयासशील होता है; यही तत्-सुख-सुखित्व भाव है। करमा बाई की खिचड़ी की कथा प्रसिद्ध ही है।

एक और कथा है। किसी महात्मा के स्नेहवश अखिल ब्रह्माण्ड-नायक सर्वेश्वर प्रभु ही बालरूप में उनके पास रहा करते थे; घूमते-फिरते महात्मा किसी जंगल में पहुँच गए; सन्ध्या-वन्दन की बेला होने पर बालक-प्रभु से महात्मा कहने लगे ‘लाला! तू यहीं बैठ; जब तक मैं सन्ध्या-वन्दन कर लूँ।’ लाला बैठ गये परन्तु ज्योंहीं महात्मा जी सन्ध्या-वन्दन के लिए तत्पर हुए तो लाला चीखने-चिल्लाने लगे, ‘बाबा! बन्दर आया; मुझको डर लग रहा है।’ महात्मा ने कहा, ‘लाला! लाठी ले ले फिर बन्दर नहीं आयेगा।’ ऐसा कहकर महात्मा फिर ध्यान लगाने लगे। लाला तो फिर चिल्ला उठे, ‘बाबा! बन्दर मुँह चिढ़ा रहा है; लाठी दिखाने पर भी नहीं भागता बाबा! मुझको बहुत डर लग रहा है।’ अपने सन्ध्या-वन्दन में बारम्बार विघ्न पड़ते देख कर महात्माजी झुँझला उठे और कह दिया कि ‘तू जो सर्वेश्वर सर्वशक्तिमान है तुझको बन्दर से क्या डर है?’ महात्मा के ऐसा कहते ही भगवान् अन्तर्धान हो गये। विचित्र लीला है भगवान की। भगवान के बालरूप के प्रति वात्सल्य एवं उनके अखिलेश्वर सर्वशक्तिमान, ऐश्वर्ययुक्त स्वरूप की अनुभूति जैसे दो परस्पर विपरीत भाव एक साथ नहीं बन सकते; ऐश्वर्य-भाव प्रस्फुटित होने पर माधुर्य भाव तिरोहित हो जाता है।

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गोपी गीत
क्रम संख्या विषय पृष्ठ संख्या
1. भूमिका 1
2. प्रवेशिका 21
3. गोपी गीत 1 23
4 गोपी गीत 2 63
5. गोपी गीत 3 125
6. गोपी गीत 4 154
7. गोपी गीत 5 185
8. गोपी गीत 6 213
9. गोपी गीत 7 256
10. गोपी गीत 8 271
11. गोपी गीत 9 292
12. गोपी गीत 10 304
13. गोपी गीत 11 319
14. गोपी गीत 12 336
15. गोपी गीत 13 364
16. गोपी गीत 14 389
17. गोपी गीत 15 391
18. गोपी गीत 16 412
19. गोपी गीत 17 454
20. गोपी गीत 18 499
21. गोपी गीत 19 537

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