गोपी गीत -करपात्री महाराज पृ. 247

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गोपी गीत -करपात्री महाराज

गोपी गीत 6

‘भज सखे भवत्किंकरीः स्म नो’ हे सखे! हम आपकी किंकरी हैं। आप हमारे सखा हैं; हमारा भी आपके प्रति सख्य-भाव है तथापि हम कैंकर्य को अंगीकार करती हैं क्योंकि आप भृत्यानुग्रह-कातर हैं। हे नाथ! सख-निबन्धन-सामर्थ्य हम लोगों में नहीं है। हम तो आपके भृत्यानुग्रह-कातरता की ही कामना करती हैं। एतावता आप स्वानुग्रहवशात् शीघ्र ही प्रकट होकर दर्शन दें।

मुग्धा नायिकाएँ कहतीं हैं ‘व्रजनार्तिहन्’ हे सखे! व्रजजनों की आर्तिहरण आपका व्रत है। आपके विप्रयोग-जन्य संताप के कारण हमारे प्राण पखेरू अब और अधिक समय के लिये नहीं रुक सकते; अतः आप अपना व्रत-भंग होने के पूर्व ही हमें दर्शन दें। हे सखे! यदि आपको हमारा त्याग ही अभीष्ट है तब भी एक बार तो जलरूहानन का दर्शन दे ही दें। आपके मंजुल, मधुर, शीतल, तापापनोदक, परम सुरभित, आल्हादक, दिव्य, मुख-कमल का दर्शन पाकर हम भले ही मृत्यु को प्राप्त हो जावें। हे सखे! अपने परम सख्य का स्मरण कर कर भी दया परवश हो हमारे अन्तिम समय में तो अपने ‘चारु-जलरूहाननं’ का दर्शन देते जाओ। मानिनी कहती हैं ‘शठं प्रति शाठ्यं’ शठ के प्रति शाठ्य ही उचित है। आप ‘व्रजजनार्तिहन्’ होते हुए भी केवल हम व्रजांगनाओं को अपने विप्रयोग-जन्य तीव्र-ताप से संतप्त करने हेतु ही अन्तर्धान हो रहे हैं। यदि हम लोगों में ऐसी सामर्थ्य होती तो हम भी यही करतीं, हम भी अपने आपको तिरोधान कर लेंती। हमारी मृत्यु से तुमको कुछ तो कष्ट अवश्य ही होगा। अतः हम मर रही हैं। एक बार आकर अपने जलरूहानन का दर्शन दे दो क्योंकि दर्शन की लालसा से प्राण निकल भी तो नहीं पाते।

‘बिरहि अगिनि तनु तूल समीरा। स्वास जरइ छन माहिं सरीरा।।
नयन स्त्रवहिं जलु निजहित लागी। जरैं न पाव देह बिरहागी।।’[1]

हे सखे! ‘एताः भवत्किंकरी हि भज’ ये जो आपकी किंकरी, मुग्धाएँ हैं; कम से कम इनका तो भजन करें, इन पर तो अनुग्रह करें। हे सखे! आप ही प्राणी मात्र के प्राणों के प्राण हैं, सर्वान्तर्यामी हैं; अतः आपही निरतिशय, निरुपाधिक, परम-प्रेम के आस्पद हैं; विशेषतः हम व्रजांगनाओं के अन्तःकरण, अन्तरात्मा के प्रेरक, प्रवर्तक एवं साक्षी हैं।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मानस, सुन्दर 30। 7-8

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गोपी गीत
क्रम संख्या विषय पृष्ठ संख्या
1. भूमिका 1
2. प्रवेशिका 21
3. गोपी गीत 1 23
4 गोपी गीत 2 63
5. गोपी गीत 3 125
6. गोपी गीत 4 154
7. गोपी गीत 5 185
8. गोपी गीत 6 213
9. गोपी गीत 7 256
10. गोपी गीत 8 271
11. गोपी गीत 9 292
12. गोपी गीत 10 304
13. गोपी गीत 11 319
14. गोपी गीत 12 336
15. गोपी गीत 13 364
16. गोपी गीत 14 389
17. गोपी गीत 15 391
18. गोपी गीत 16 412
19. गोपी गीत 17 454
20. गोपी गीत 18 499
21. गोपी गीत 19 537

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