गोपी गीत -करपात्री महाराज पृ. 240

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गोपी गीत -करपात्री महाराज

गोपी गीत 6

जब ब्रह्मा द्वारा समस्त गो-धन सहित ग्वाल-बालकों का अपहरण किया गया था उस समय आप ही तत् गोप-बालक के स्वरूप में आविर्भूत हुए थे। उसी वर्ष हम सब गोप-कुमारियों का पाणिग्रहण संस्कार हुआ था; अतः वस्तुतः हम गोप-कन्याओं का पाणिग्रहण आप ही के साथ हुआ। अतः आप हमारे परम स्वकीय कान्त हैं। कात्यायनी-ब्रत के अनन्तर चीरहरण के प्रसंग में भी आप ने हम गोप-कुमारिकाओं को वरदान दिया था। ‘मयैमारस्यथ क्षपा’[1]अमुक-अमुक रात्रियों में तुम को हमारा संगम प्राप्त होगा। वेणु-वादन प्रसंग से आपने हम गोप-कुमारिकाओं में से प्रत्येक का नाम से लेकर आह्वान कर हमें रति-सुख प्रदान किया; अतः हे सखे! आप हमारे निज-जन, परम स्वजन हैं। आप जिसकें स्वजन हों ऐसे सौभाग्यतिशायी जनों में स्मय असम्भव ही है।

‘न क्रोधो न च मात्सर्यं न लोभो नाशुभा मतिः।
भवन्ति कृतपुण्यानां भक्तानां पुरुषोत्तमे।।’[2]

अर्थात, जो पुरुषोत्तम के भक्त हैं उनमें क्रोध, मात्सर्य लोभ, अशुभा मति आदि दोष असम्भव है। स्मय भी दोष है; आप के भक्तों में, निजजनों में गर्वादि दोष कदापि सम्भव नहीं। अपने श्याम-सुन्दर, मदन-मोहन के प्रति रासेश्वरी, नित्य-निकुन्जेश्वरी, राधा-रानी का मान भी दोष रूप गर्व नहीं अपितु परमानुरागिणी वामा के सौभाग्यातिशय का ही सूचक है। यह मान भी प्रभु को अत्यन्त प्रिय है। इस प्रणय कोप-सुधा रस के आस्वादन हेतु भी प्रभु अन्तर्धानलीला करते हैं। यह स्मय, मान तो प्रेम-रस की वृद्धि करने वाला ही है।

योगीन्द्र, मुनीन्द्र, अमलात्मा, परमहंस भी जिस भगवान् श्रीकृष्ण का रहस्य न जान सके वही भगवान् श्रीकृष्ण कुन्ज कुटीर में राधा के चरणारविन्द की सेवा करते देखे गये। भक्ति की पराकाष्ठा होने पर वस्तुतः भगवान भी अपने भक्त के अधीन होकर उसका भजन करने लगते हैं। व्रजांगनाओं का स्मय वस्तुतः दर्प नहीं अपितु केवल स्मयाभास है जो रस की लोकोत्तर वृद्धि का कारण है। वे कह रही हैं, हे सखे! हमारा स्मय तो वस्तुतः स्मयाभास, प्रणय-कोप जन्य ही हैं। हमारा यह स्मय भी आपके जलरुहानन-दर्शन से ध्वंस हो जावेगा अतः आप अपने सुरभि युक्त, सुशीतल, तापापनोदक जलरूहानन का दर्शन देकर हमारे सन्ताप का ध्वंस करें।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 10। 22। 21
  2. म. भा. 13। 149। 133

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गोपी गीत
क्रम संख्या विषय पृष्ठ संख्या
1. भूमिका 1
2. प्रवेशिका 21
3. गोपी गीत 1 23
4 गोपी गीत 2 63
5. गोपी गीत 3 125
6. गोपी गीत 4 154
7. गोपी गीत 5 185
8. गोपी गीत 6 213
9. गोपी गीत 7 256
10. गोपी गीत 8 271
11. गोपी गीत 9 292
12. गोपी गीत 10 304
13. गोपी गीत 11 319
14. गोपी गीत 12 336
15. गोपी गीत 13 364
16. गोपी गीत 14 389
17. गोपी गीत 15 391
18. गोपी गीत 16 412
19. गोपी गीत 17 454
20. गोपी गीत 18 499
21. गोपी गीत 19 537

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