गोपी गीत -करपात्री महाराज पृ. 211

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गोपी गीत -करपात्री महाराज

गोपी गीत 5

जैसे किसी अबोध शिशु की चिकित्सा हेतु माता ‘वत्स! गडूचीं पिब खण्डलड्डुकं ते दास्यामि’ खांड के लड्डू का प्रलोभन देकर अत्यधिक कड़वी नीमगिलोय भी पिला देती है, वैसे ही परम-हितैषिणी भगवती श्रुति भी अज्ञ प्राणियों के परम कल्याण, निर्वाण-हेतु ही श्रौत-स्मार्त्तकर्म, वैदिक कर्मकाण्ड का प्रतिपादन करती हैं। अनियंत्रित अविचारपूर्ण कर्म ही पाशविक कर्म है। पाशविक कर्म-ज्ञान की निवृत्ति वैदिक कर्म-ज्ञान से हो जाती है। ‘अविद्यया मृत्युं तीत्र्वा विद्ययाऽमृतमश्नुते।’[1] अर्थात् अविद्या के द्वारा मृत्यु का तरण कर विद्या के द्वारा अमृतत्त्व को पाओ। अवद्यिा अर्थात् विद्या-भिन्न, विद्या-सदृश वैदिक काम-कर्म-ज्ञान; ‘नञ्’ के छः अर्थ होते हैं -

‘तत्सादृश्यभावश्च तदन्यत्वं तदल्पता।
अप्राशस्त्यं विरोधश्च नञर्थाः षट् प्रकीर्तिताः।।’[2]

उसके प्राबल्य से पाशविक कर्मज्ञान की परिसमाप्ति हो जाती है। ‘नैष्कम्र्यसिद्धिं लभते, वेदोक्तमेव कुर्वाणो निःसंगोऽर्पितमीश्वरे’[3]अर्थात् निस्संग बुद्धि के किए गए वेदोक्त कर्म से नैष्कम्र्य सिद्धि, सर्वकर्मसंन्यास-साध्य ब्रह्म-साक्षात्कार-लक्षणा-सिद्धि स्वतः संपादित हो जाती है। एकाएक कर्म का नर्हार सम्भव नहीं होता, जैसे बारमबार बोए जाने पर खेत निर्बीज हो जाता है वैसे ही वैदिक कर्म करते-करते पाशविक काम-कर्म ज्ञान भी निरुद्ध हो जाते हैं और क्रमशः अन्तरंग काम-कर्म-ज्ञान उद्भूत होता है। अन्तरंग काम-कर्म-ज्ञान स्व-पर-विरोधी है ‘यथा प्यः पयोन्तरं जरयति स्वयमपि जीर्यतिं किंवा विषं विषान्तरं जरयति स्वयमपि जीर्यति, तद्वत्।’ जैसे विष अथवा पय स्वेतर विष अथवा पय का प्रशमन कर स्वयं भी प्रशान्त हो जाता है अथवा जैसे ‘जिमि कृषि दलि हिमउपल विलाहीं’ ओले खेत को नष्ट कर स्वयं भी विलीन हो जाते हैं वैसे ही वैदिक काम-कर्म-ज्ञान पाशविक कर्म-ज्ञान का समूल उच्छेदन करता हुआ स्वयं भी उन्मूलित हो जाता है, यही नैष्कम्र्य-सिद्धि है।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ई. उप. 14
  2. वै. भू. सा. नञर्थनिर्णय
  3. श्रीमद्भा. 11। 3। 46

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गोपी गीत
क्रम संख्या विषय पृष्ठ संख्या
1. भूमिका 1
2. प्रवेशिका 21
3. गोपी गीत 1 23
4 गोपी गीत 2 63
5. गोपी गीत 3 125
6. गोपी गीत 4 154
7. गोपी गीत 5 185
8. गोपी गीत 6 213
9. गोपी गीत 7 256
10. गोपी गीत 8 271
11. गोपी गीत 9 292
12. गोपी गीत 10 304
13. गोपी गीत 11 319
14. गोपी गीत 12 336
15. गोपी गीत 13 364
16. गोपी गीत 14 389
17. गोपी गीत 15 391
18. गोपी गीत 16 412
19. गोपी गीत 17 454
20. गोपी गीत 18 499
21. गोपी गीत 19 537

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