गोपी गीत -करपात्री महाराज पृ. 199

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गोपी गीत -करपात्री महाराज

गोपी गीत 5

‘शिरसि धेहि नः श्रीकरग्रहम्’ जैसी उक्ति में सम्पूर्ण पद एकवचन है। गोपांगनाएँ अपरिगणित असंख्यात थीं। ये सब भगवद्-विरहजन्य तीव्र-ताप से अत्यन्त संतप्त एवं कातर हो रही थीं; किसी भी व्रज-सीमन्तिनी के लिये भगवद्-सम्मिलन में एक क्षण का भी विलम्ब दुस्सह हो रहा था। वैष्णवाचार्य कहते हैं कि जैसे सच्चिदानन्दघन परात्पर परब्रह्म सर्वव्याप्त हैं वैसे ही उनका मंगलमय श्रीविग्रह भी सर्वव्याप्त है। विश्वनाथ चक्रवर्ती कहते हैं, जो भगवान् के मंगलमय, श्रीविग्रह को लक्ष्य करके युक्तिरूप शरो का सन्धान करते हैं वे घोर नरक के दायभागी होते हैं; ऐसे दुष्ट व्यक्ति से संलाप करना भी दोषकारक है। ‘अचिन्त्याः खलु ये भावा, न तांस्तर्केण साधयेत्’ जो भाव अचिन्त्य है उसमें तर्क का प्रयोग अतर्करूप है। ‘प्रकृतिभ्यः परं यत्तु तदचिन्त्यस्य लक्षणम्।’[1] जो प्रकृति से पर, परात्पर है वही अचिन्त्य है। निर्गुण, निराकार, निर्विकार ही स्वात्मवैभव, अघटित-घटना-पटीयसी, मंगलमयी मायाशक्ति द्वारा दिव्य गुण-गण-संयुक्त, साकार सच्चिदानन्दघन-स्वरूप में अभिव्यक्त हो जाता है तथापि वह सावयव किंवा प्रकृति जन्य नहीं, अपितु सदा ही विशुद्ध, निरावरण, परात्पर, परब्रह्म ही है।

‘सत्यज्ञानानन्तानन्दमात्रैकरसमूर्तयः।
अस्पृष्टभूरिमाहात्म्या अपि ह्युपनिषद्दृशाम्।।’[2]

भगवदीय श्रीविग्रह प्रत्यग् ज्ञानानन्तानन्द-स्वरूप, सत्यस्वरूप, एकरस एवं सच्चिदानन्द ही हैं।

‘सर्वे देहाः शाश्वतास्तु, नित्यास्तस्य महात्मनः।
हानोपादानरहिता न चैवासुकृताः क्वचित्।।’[3]

भगवान् के सब विग्रह हान एवं उपादान से रहित, नित्य सत्य, शाश्वत हैं। भगवत्-विग्रह प्रकृतिज, प्राकृत भी नहीं है। जैसे अग्नि सर्वव्याप्त होते हुए भी अनुकूल अधिष्ठान पाकर ही व्यक्त होती है वैसे ही भगवत्-स्वरूप भी भक्तियुग्त अन्तःकरणरूप उपयुक्त अधिष्ठान पाकर ही अभिव्यक्त होता है।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महाभारत, भीष्मपर्व 5। 12
  2. श्रीमद्भा. 10। 13। 54
  3. वाराहपुराण

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गोपी गीत
क्रम संख्या विषय पृष्ठ संख्या
1. भूमिका 1
2. प्रवेशिका 21
3. गोपी गीत 1 23
4 गोपी गीत 2 63
5. गोपी गीत 3 125
6. गोपी गीत 4 154
7. गोपी गीत 5 185
8. गोपी गीत 6 213
9. गोपी गीत 7 256
10. गोपी गीत 8 271
11. गोपी गीत 9 292
12. गोपी गीत 10 304
13. गोपी गीत 11 319
14. गोपी गीत 12 336
15. गोपी गीत 13 364
16. गोपी गीत 14 389
17. गोपी गीत 15 391
18. गोपी गीत 16 412
19. गोपी गीत 17 454
20. गोपी गीत 18 499
21. गोपी गीत 19 537

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