गोपी गीत -करपात्री महाराज पृ. 193

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गोपी गीत -करपात्री महाराज

गोपी गीत 5

गोपांगनाएँ अपनी स्पृहा की अभिव्यक्ति-हेतु ही भगवती लक्ष्मी की चर्चा करती हैं; भगवती लक्ष्मी स्वयं ही अत्यन्त स्पृहालु हैं।

‘ब्रह्मादयो बहुतिथं यदपांगमोक्षकामास्तपः समचरन् भगवत्प्रपन्ना।
सा श्रीः स्ववासमरविन्दवनं विहाय यत्पादसौभगमलं भजतेऽनुरक्ता।।’[1]

जिनके अपांग मोक्ष की कामना से ब्रह्मादि देवगण भी दीर्घकालावधिपर्यन्त कठिन तपस्या में प्रवृत्त होते हैं वही सम्पूर्ण ऐश्वर्य की अधिष्ठात्री, चपला, चंचला, लक्ष्मी, श्री भी अपने निवास स्थान अरविन्द वन को त्याग कर भगवत्-पादारविन्द की परमानुरागिणी होकर सतत उसी का भजन करती हैं।

‘श्रीर्यत्पदाम्बुजरजश्चकमे तुलस्या लब्ध्वापि वक्षसि पदं किल भृत्यजुष्टम्।
यस्याः स्ववीक्षणकृतेऽन्यसुरप्रयासस्तद्वद् वयं च तव पादरजः प्रवन्नाः।।’[2]

अर्थात्, अनन्तकोटि ब्रह्माण्डाधिष्ठात्री भगवती महालक्ष्मी को यद्यपि भगवत्-उरःस्थल में निःसपत्न स्थान प्राप्त है तथापि वे तुलसी सपत्नी के संग रहकर भी भगवत्-पादारविन्द-रज की ही सतत स्पृहा करती हैं। भगवान् के वाम-वक्षःस्थल पर विराजमान सुवर्ण-वर्ण रोमराजि ही लक्ष्मी का चिह्न है। श्रीमन्नारायण भगवान् विष्णु ही व्रजेन्द्रनन्दन गोपाल श्रीकृष्ण स्वरूप में आविर्भूत होकर गोपालियों के क्रीड़ामृग बने हुए दारु-संचालित काष्ठ-यंत्रवत् उनका अनुगमन कर रहे हैं। एतावता भगवती लक्ष्मी की तुलना में गोपालियों का सौभाग्यातिशय निर्विवाद है। ‘श्रियस्ताः व्रजयोषितः।’ वृन्दावन धाम की प्रत्येक कान्ता भगवती लक्ष्मी, श्रीवत् ही हैं। रासेश्वरी, नित्य-निकुंजेश्वरी राधारानी तो महामहिम हैं। अस्तु, गोपांगनाएँ कह रही हैं कि ‘हे कान्त ‘श्रीकरग्रहम्’ हमारे सिर पर भी अपने कामद हस्तारविन्द का प्रस्थापित करें।’ साथ ही, वे अनुभव करती हैं कि भगवान् श्रीकृष्ण उनसे कह रहे हैं कि ‘हे गोपांगनाओ! भगवती लक्ष्मी तो हमारी पाणिगृहीती, विवाहित पत्नी हैं परन्तु तुम तो हमारी विवाहिता नहीं हो, तुम्हारे सिर पर हम अपना हस्तारविन्द-विन्यास क्योंकर कर सकते हैं?’ इसका उत्तर देती हुई वे कह रही हैं; ‘चरणमीयुषां संसृतेर्भयात् विरचिताभयं’ पाणिगृहीती का संस्पर्श तो वैध है परन्तु शरणागत का संस्पर्श तो ईश्वरीय धर्म है।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. श्रीमद्भा. 1। 16। 32
  2. श्रीमद्भा. 10। 29। 37

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गोपी गीत
क्रम संख्या विषय पृष्ठ संख्या
1. भूमिका 1
2. प्रवेशिका 21
3. गोपी गीत 1 23
4 गोपी गीत 2 63
5. गोपी गीत 3 125
6. गोपी गीत 4 154
7. गोपी गीत 5 185
8. गोपी गीत 6 213
9. गोपी गीत 7 256
10. गोपी गीत 8 271
11. गोपी गीत 9 292
12. गोपी गीत 10 304
13. गोपी गीत 11 319
14. गोपी गीत 12 336
15. गोपी गीत 13 364
16. गोपी गीत 14 389
17. गोपी गीत 15 391
18. गोपी गीत 16 412
19. गोपी गीत 17 454
20. गोपी गीत 18 499
21. गोपी गीत 19 537

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