गोपी गीत -करपात्री महाराज पृ. 19

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गोपी गीत -करपात्री महाराज

भगवान के समीप रहने पर भी वह उनका दर्शन नहीं कर पाता। भक्त के उत्कट प्रेमभाव को देखकर वे उनके मान और मद को दूर कर देने के लिये अनुग्रह कर ही देते हैं। विरहजनित तड़पन में गोपियाँ मद और मान से रहित होकर विशुद्ध प्रेम को जब प्रकट करने को तत्पर हो गईं और फूट-फूट-कर रोने लगीं-

इति गोप्यः प्रगायन्त्यः प्रलपन्त्यश्च चित्रधा।
रुरुदुः सुस्वरं राजन् कृष्णदर्शनलालसाः।।

गोपियाँ रातभर उस महान् वन में भगवान् श्रीकृष्ण को ढूँढ़ती फिरीं और सब प्रयत्न करके थक गईं, फिर भी उनका कहीं पता न लगा, तो घबड़ाकर उनके प्रेम में फूट-फूटकर रोने लगीं, उसी समय तत्काल-

‘तासामाविरभूच्छौरिः स्मयमानमुखाम्बुजः’

उन गोपियों को प्रेम से रोती देखकर भगवान् से न रहा गया और अन्धकार में छिपे हुए भगवान् श्रीकृष्ण तुरंत मुस्कराते हुए प्रसन्नवदन से उनके सम्मुख आकर खड़े हो गए। ये परमभागवत गोपियाँ ही थीं, उनसे जगत् के किसी प्राणी की तिलमात्र भी तुलना नहीं की जा सकती। गोपियों के शरीर-मन-प्राण सभी कुछ श्रीकृष्णमय हो गये थे।

उनके प्रेमोन्माद का यह गीत ‘गोपी-गीत’ नाम से प्रसिद्ध है। यह गीत गोपांगनाओं के प्राणों का प्रत्यक्ष प्रतीक है। आज भी यह भगवद्-भक्तों को भावमग्न करके श्रीकृष्ण के लीलालोक में पहुँचा देता है। सरसहृदय से पाठ करने मात्र से ही गोपियों की महत्ता तथा उनके उच्चस्तरीय अधिकार, उनकी भक्तिप्रवणता का ज्ञान पवित्र अन्तःकरणवाले व्यक्तियों को हो जाता है।

गोपियों के अलौकिक प्रेमोन्माद को देखकर श्रीकृष्ण भी अन्तर्हित न रह सके। उनके सामने ‘साक्षात् मन्मथमन्मथ’ के रूप से प्रकट हुए और उन्होंने मुक्तकण्ठ से स्वीकार किया कि गोपियां! मैं तुम्हारे प्रेममय भाव का चिरऋणी हूँ। यदि मैं अनन्तकाल तक भी तुम्हारी सेवा करता रहूँ, तो भी तुमसे उऋण नहीं हो सकता। मेरे अन्तर्धान होने का प्रयोजन तुम्हारे चित्त को दुखाना नहीं था, प्रत्युत तुम्हारे प्रेम को और अधिक उज्ज्वल एवं समृद्ध करना था।

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गोपी गीत
क्रम संख्या विषय पृष्ठ संख्या
1. भूमिका 1
2. प्रवेशिका 21
3. गोपी गीत 1 23
4 गोपी गीत 2 63
5. गोपी गीत 3 125
6. गोपी गीत 4 154
7. गोपी गीत 5 185
8. गोपी गीत 6 213
9. गोपी गीत 7 256
10. गोपी गीत 8 271
11. गोपी गीत 9 292
12. गोपी गीत 10 304
13. गोपी गीत 11 319
14. गोपी गीत 12 336
15. गोपी गीत 13 364
16. गोपी गीत 14 389
17. गोपी गीत 15 391
18. गोपी गीत 16 412
19. गोपी गीत 17 454
20. गोपी गीत 18 499
21. गोपी गीत 19 537

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