गोपी गीत -करपात्री महाराज पृ. 174

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गोपी गीत -करपात्री महाराज

गोपी गीत 4

इस पद का निवृत्तिपक्षीय अर्थ भी है। श्रुति-कथन है कि भगवान् विरुद्धधर्माश्रय हैं; वे अनन्य-कल्याण गुणगण के आकर सगुण भी हैं तो निर्गुण भी हैं; अनन्तकोटि ब्रह्माण्ड-उत्पादक, पालक एवं संहारक भी हैं, निष्क्रिय भी हैं। भगवत्-स्वरूप का निरूपण करते हुए श्रुतियाँ भी चकित हो जाती हैं। ‘यं चकितमभिषत्ते श्रुतिरपि’ (शिवमहिम्न) सर्वसाधारण को श्रत्यर्थ में व्यामोह होता है। यही श्रुतियों द्वारा परब्रह्मार्थ का गोपन है। तात्पर्य कि श्रुतियाँ परब्रह्मार्थ का निर्देश परोक्षतः ही करती हैं; ‘नेति-नेति’ आदि वचनों के द्वारा अतद्-व्यावृत्ति से अतद् वस्तु का आरोपण करती हैं। ब्रह्माश्रित वस्तु ही अतद् है। अतद् का अपनोदन, उसकी व्यावृत्ति (निषेध) अपूर्व, अबाह्य आदि शब्दों से की जाती है। परब्रह्म अपूर्व और अबाह्य है। तात्पर्य कि अकारण एवं अकार्य है। ‘न तस्य कार्यं करणं च विद्यते।’[1] कार्य-कारण-रहित परब्रह्म को प्रावरित करने वाली श्रुति ही गोपांगना है। इस ‘गोपिकानाम् श्रुतीनाम् नन्दनो भवान् न इति न खलु शब्दो निषेधार्थकः।’ वेद-वाक्य गोपद-वाच्य श्रुति को आप आनन्दित न करते हों ऐसा भी नहीं है; तात्पर्य कि आप द्वारा ही वेदों का प्रामाण्य भी सिद्ध होता है। अतः आप आतमदृक् होते हुए भी गोपिकानन्दन नहीं हैं ऐसा भी नहीं है।

अनेक आचार्यों ने इस पद के अपने-अपने मतानुसार अनेक अर्थ लगाए हैं। विश्वनाथ चक्रवर्ती के भावानुसार गोपिकाएँ कह रही हैं ‘न खलु गोपिकानन्दनो भवानखिलदेहिनाम्’ हे सखे! आप आत्मदृक् हैं, शुद्ध आत्मा ही अन्तरात्मा हैं, अन्य सम्पूर्ण बहिरात्मा हैं।

‘इन्द्रियेभ्यः परा ह्यर्था अर्थेभ्यश्च परं मनः।
मनसस्तु पराबुद्धिर्बुद्धेरात्मा महान् परः।।
महतः परमव्यक्तमव्यक्तात् पुरुषः परः।
पुरुषान्न न परं किञ्चित् सा काष्ठा सा परा गतिः।।’[2]

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. श्वेताश्वतरो. 6। 8
  2. कठोपनिषद् 1। 3। 10-11

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गोपी गीत
क्रम संख्या विषय पृष्ठ संख्या
1. भूमिका 1
2. प्रवेशिका 21
3. गोपी गीत 1 23
4 गोपी गीत 2 63
5. गोपी गीत 3 125
6. गोपी गीत 4 154
7. गोपी गीत 5 185
8. गोपी गीत 6 213
9. गोपी गीत 7 256
10. गोपी गीत 8 271
11. गोपी गीत 9 292
12. गोपी गीत 10 304
13. गोपी गीत 11 319
14. गोपी गीत 12 336
15. गोपी गीत 13 364
16. गोपी गीत 14 389
17. गोपी गीत 15 391
18. गोपी गीत 16 412
19. गोपी गीत 17 454
20. गोपी गीत 18 499
21. गोपी गीत 19 537

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