गोपी गीत -करपात्री महाराज पृ. 139

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गोपी गीत -करपात्री महाराज

गोपी गीत 3

अहंकार का नाश ही भगवद्-दर्शन का, श्रीकृष्ण-प्राकट्य का आधार है। अपनी अपूर्णता, अज्ञता एवं अशक्तता का ज्ञान ही अहंकार-नाश का हेतु है। एतावता उत्तमातिउत्तम भक्त स्वभावतः ही अपनी अपूर्णता का, अपने दोषों का अधिकाधिक बोध करने लगता है।
‘द्वा सुपर्णा, सयुजा, सखाया’ आप ही समपूर्ण जीवों के सखा, सर्व-हितैषी, सर्व-स्वामी हैं। श्रुति-कथन है-‘यतो वा इमानि भूतानि जायन्ते येन जातानि जीवन्ति यत्प्रयन्त्यभिसंविशन्ति।’ अर्थात्, उत्पत्ति काल में प्राणी मात्र भगवान् से ही आविर्भूत होते हैं यद्यपि लौकिक माता-पिता भी निमित्तभूत होते हैं। लौकिक माता-पिता में भी भगवान् ही अभिव्यक्त हैं। एतावता मूलतः प्राणीमात्र के आविर्भाव का मूल एकमात्र परात्पर सच्चिदानन्दघन परब्रह्म ही है।

‘विष्णुपुराण’ के मतानुसार भगवान् का उत्पादक, पालक एवं संहारक तीनों ही रूप चतुर्धा है। उत्पादक रूप में भगवान् सर्वान्तर्यामी चतुर्मुख ब्रह्मा प्रजापति एवं लौकिक माता-पिता स्वरूप हैं; पालक रूप में अन्तर्यामी, सर्वपाल, विष्णुस्वरूप, मन्वादि एवं तात्कालिक राजा स्वरूप हैं; मनु कहते हैं, ‘महती देवता ह्येषा नररूपेण तिष्ठति’ अर्थात्, राजा महती देवता ईश्वर ही नर रूप में प्रकट है। संहारक रूप में सर्व-संहारक रुद्र, यमराज एवं आधि-व्याधि हैं।

गोपांगनाएँ कह रही हैं कि हे व्रजेन्द्रनन्दन! आप सर्वदा, सर्वथा, सर्वपालक, सर्वसखा, सर्वहितकारी, सर्वस्वामी हैं तथापि हम व्रज-बालाओं से आपका विशेष सम्बन्ध है। जैसे भगवान् विष्णु सबके पालक हैं तथापि विशेषतः लक्ष्मी पति हैं वैसे ही आप विशेषतः गोपिका-वल्लभ हैं।
हे ऋषभ! आप ही हमारे रक्षक हैं। ‘ऋषभः निरतिशयेन श्रेष्ठः’ आप सम्पूर्ण तत्त्वों में परम श्रेष्ठ हैं; आप ही अनन्तानन्त ब्रह्माण्डाधिष्ठान, स्वप्रकाश परमेश्वर हैं; सर्व-सृष्टि-पालक एवं रक्षक हैं।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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गोपी गीत
क्रम संख्या विषय पृष्ठ संख्या
1. भूमिका 1
2. प्रवेशिका 21
3. गोपी गीत 1 23
4 गोपी गीत 2 63
5. गोपी गीत 3 125
6. गोपी गीत 4 154
7. गोपी गीत 5 185
8. गोपी गीत 6 213
9. गोपी गीत 7 256
10. गोपी गीत 8 271
11. गोपी गीत 9 292
12. गोपी गीत 10 304
13. गोपी गीत 11 319
14. गोपी गीत 12 336
15. गोपी गीत 13 364
16. गोपी गीत 14 389
17. गोपी गीत 15 391
18. गोपी गीत 16 412
19. गोपी गीत 17 454
20. गोपी गीत 18 499
21. गोपी गीत 19 537

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