गोपी गीत -करपात्री महाराज पृ. 131

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गोपी गीत -करपात्री महाराज

गोपी गीत 3

ग्वाल-बालों के रक्षार्थ श्रीकृष्ण उनके संग ही व्याल-राक्षस के उदर में प्रविष्ट हुएः अघासुर का उदर ही शमशान है; अनेकानेक प्राणियों के उद्धार-हेतु ही भगवान शंकर अघासुर के उदररूप श्मशान में भी आविर्भूत होते हैं। जैसे बन्दियों के शिक्षार्थ शिक्षक को भी बन्दी-ग्रृह में ही प्रवेश करना पड़ता है वैसे ही प्राणियों के कल्याणार्थ ही अनन्तकोटि-ब्रह्माण्ड-नायक, सर्वेश्वर, प्रभु संसार में अवतरित होते हैं।
गोलोकधाम, साकेतधाम, वैकुण्ठधाम से भगवान का संसार में अवतरण हुआ। सगुण परब्रह्म का लोक ही ब्रह्मलोक है; ब्रह्मलोक ही उपनिषद एवं ब्रह्मसूत्र की दृष्टि से चतुर्मुख ब्रह्मा का लोक, विष्णुपुराण के अनुसार महाविष्णु के उपासक के लिए वैकुण्ठधाम, रामायण के अनुसार भगवान राघवेन्द्र रामचन्द्र के उपासक के लिए साकेतधाम, ब्रह्मवैवर्त एवं श्रीमद्भागवत के अनुसार कृष्ण के उपासक के लिए गोलोकधाम है तथा परात्पर परब्रह्म के उपासक के लिए ब्रह्मलोक है। पुराणों के मतानुसार कार्य-कारणातीत ब्रह्म का धाम ही साकेतधाम है जो ब्रह्मलोक से भी परे है। साकेतधाम के भी अनेक भेद मान्य हैं। अनन्त-कोटि-ब्रह्माण्ड से परे अनन्त-कोटि-ब्रह्माण्ड नायक, सर्वेश्वर एवं उनके धाम की स्थिति को मान लेने पर उपर्युक्त पौराणिक कल्पना संगत हो सकती है। यद्यपि परम स्नेहमयी, कल्याणमयी, अम्बा भी कूप में गिरे हुए अपने प्राणप्रिय पुत्र के रक्षार्थ चीत्कार तो करती है तथापि स्वयं उस कूप में कूद नहीं पड़ती परन्तु सर्व-सखा, सर्व-हितकारी एवं सर्व-रक्षक सर्वान्तर्यामी प्रभु जीव के उद्धार-हेतु उसके संग ही अधरूप अजगर के नरकरूप उदर में भी प्रविष्ट हो जाते हैं।

‘यो विज्ञाने तिष्ठन् विज्ञानादन्तरो यं विज्ञानं न वेद यस्य विज्ञानं शरीरं यो विज्ञानमन्तरो यमयत्येष त आत्माऽन्तर्याम्यमृतः’[1]

विज्ञान ही जिसका कलेवर है, जो विज्ञान में ही स्थित है फिर भी विज्ञान जिसको नहीं जान पाता वह अन्तर्यामी तत्त्व ही परमात्मा है जो सदा, सर्वदा सर्वत्र ही जीवात्मा के साथ असंग, अलिप्त एवं द्रष्टारूप से रहता है। अस्तु, सर्वान्तर्यामी परमात्मा भी जीवात्मा के उद्धार-हेतु उसके संग ही अघासुर के उदरूप नरक में प्रविष्ट हो जाते हैं।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. बृहदारण्यक उप. 3।7।22

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गोपी गीत
क्रम संख्या विषय पृष्ठ संख्या
1. भूमिका 1
2. प्रवेशिका 21
3. गोपी गीत 1 23
4 गोपी गीत 2 63
5. गोपी गीत 3 125
6. गोपी गीत 4 154
7. गोपी गीत 5 185
8. गोपी गीत 6 213
9. गोपी गीत 7 256
10. गोपी गीत 8 271
11. गोपी गीत 9 292
12. गोपी गीत 10 304
13. गोपी गीत 11 319
14. गोपी गीत 12 336
15. गोपी गीत 13 364
16. गोपी गीत 14 389
17. गोपी गीत 15 391
18. गोपी गीत 16 412
19. गोपी गीत 17 454
20. गोपी गीत 18 499
21. गोपी गीत 19 537

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