गोपी गीत -करपात्री महाराज पृ. 118

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गोपी गीत -करपात्री महाराज

गोपी गीत 2

ब्रह्मस्तुति है, हे अनन्त! हे अपरिच्छिन्न, सर्वेश्वर प्रभो! विज्ञ-जन शरीर के भीतर ही आपका अनुसन्धान करते हैं। जैसे अत्यन्त सावधानी के साथ मूँज में से सींक निकाल ली जाती है वैसे अन्नमयादि पन्चकोषों से आवृत, सींकस्थानीय निर्विकार, आनन्दस्वरूप, चिदात्मा को भी प्राप्त कर लिया जाता है। देहेन्द्रियादि रूप उपाधि के तादात्म्याध्यास से कर्तृव्य-भोक्तृत्वादि अनेकानर्थपरिप्लुत आत्मा सम्पूर्ण् सजातीय-विजातीय स्वगत भेदों को त्यागकर अपने शुद्ध स्वरूप में स्थित हो जाता है। उदाहरणार्थ यद्यपि रज्जु में सर्प नहीं है तथापि मिथ्याभ्रम विषयोभूत-सर्प के कल्पित अस्तित्व का बोध न हो जाने तक विद्यमान रज्जु का अनुभव असम्भव है। ‘अध्यारोपापवादाभ्यां मिष्प्रपन्चं प्रपन्च्यते।’ अध्यारोप एवं अपवाद के द्वारा ही अधिष्ठानभूत निष्प्रपन्च ब्रह्मतत्त्व का वर्णन किया जाता है।

अध्यारोप के द्वारा ब्रह्म को निखिल-प्रपंच का चरम कारण मानकर उससे सृष्टि का क्रम बतलाया जाता है और अपवाद के द्वारा दृश्यमात्र का अनात्मत्व प्रतिपादन करते हुए साक्षी चेतन का शोधन किया जाता है। इसी क्रम से शुद्ध परब्रह्म लक्षित हो जाता है। जीव स्वभावतः शुद्ध तत्त्व से अनभिज्ञ है अतः इस दृश्य-प्रपंच के कारण के अन्वेषण द्वारा ही उसका बोध सम्भव होता है। अध्यारोप एवं अपवाद, दोनों ही जिसमें अधिष्ठित होने से सिद्ध होते हैं वह परब्रह्म ही आश्रय नाम दसवाँ तत्त्व है। श्रीमद्भागवत में भी आश्रय का लक्षण इस प्रकार किया गया है-

‘आभासश्च निरोधश्च यतश्चाध्यवसीयते।
स आश्रयः परं ब्रह्म परमात्मेति शब्द्यते।।’[1]

‘आभास’ अध्यारोप को और ‘निरोध’ अपवाद को कहते हैं। श्रीमद्भागवत-कथन है, ‘दशमस्य विशुद्धयर्थ नवानामिह लक्षणम्।’[2] दशम-स्कन्ध में जो दशम-तत्त्व का निरूपण किया गया है उसकी विशुद्धि के लिए ही पूर्ववर्ती नव स्कन्ध हैं।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. श्रीमद्भा. 2।10।7
  2. 2।10।2

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गोपी गीत
क्रम संख्या विषय पृष्ठ संख्या
1. भूमिका 1
2. प्रवेशिका 21
3. गोपी गीत 1 23
4 गोपी गीत 2 63
5. गोपी गीत 3 125
6. गोपी गीत 4 154
7. गोपी गीत 5 185
8. गोपी गीत 6 213
9. गोपी गीत 7 256
10. गोपी गीत 8 271
11. गोपी गीत 9 292
12. गोपी गीत 10 304
13. गोपी गीत 11 319
14. गोपी गीत 12 336
15. गोपी गीत 13 364
16. गोपी गीत 14 389
17. गोपी गीत 15 391
18. गोपी गीत 16 412
19. गोपी गीत 17 454
20. गोपी गीत 18 499
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