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श्रीगीतगोविन्दम् -श्रील जयदेव गोस्वामी
प्रथम सर्ग
सामोद-दामोदर
अथ द्वितीय सन्दर्भ
2. गीतम्
धृत कमला कुच मण्डल श्रुतिकुण्डल हे। बालबोधिनी - कवि श्रीजयदेव जी श्रीकृष्ण को सबके उपास्य रूप में वर्णित कर अब दूसरे गीति-प्रबन्ध में एकमात्र चिन्तनीय स्वरूप ध्येय रूप में वर्णन हेतु धीरोदात्त, धीरोद्धत, धीरशान्त और धीर ललित आदि नायकत्व गुणों से समन्वित समस्त नायक-चूड़ामणि श्रीकृष्ण की सर्वश्रेष्ठता को प्रकटित करते हुए प्रार्थना करते हैं। श्रित कमला कुचमण्डल हे इस पद का विग्रह है श्रित कमलाया: कुचमण्डलं येना सौ तत्सम्वुक्षै श्रितकमलाकुचमण्डल अर्थात श्रीकृष्ण श्रीराधाजी के स्तन मण्डलीे की सेवा करने वाले हैं। वे लक्ष्मी जी के प्रिय हैं तथा श्रीलक्ष्मी जी उनकी प्रियतमा हैं। इस पद से यह भी सूचित होता है कि वे श्रीकृष्ण क्रीड़ाविलासी, विदग्ध, परिहास विशारद, प्रेयसीवश एवं निश्चिन्त हैं। 'ए'कार आलाप मात्र है। धृतकुण्डल ए, धृते कुण्डल येन स तथा तस्य सम्बुिद्ध:, अर्थात जिन्होंने कानों में कुण्डल धारण किया है, मकराकृति कुण्डल धारण करने से उनके मुखारविन्द की शोभा और भी बढ़ जाती है। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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