गीत गोविन्द -जयदेव पृ. 66

श्रीगीतगोविन्दम्‌ -श्रील जयदेव गोस्वामी

प्रथम सर्ग
सामोद-दामोदर

अथ द्वितीय सन्दर्भ
2. गीतम्

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श्रितकमलाकुच मण्डल! धृत-कुण्डल!
कलित-ललित-वनमाल!
जय जय देव हरे ॥1॥ ध्रुवम्॥
दिनमणि-मण्डल-मण्डन! भवखण्डन!
मुनिजन-मानस-हंस!
जय जय देव हरे ॥2॥
कालिय-विषधर-गञ्जन! जनरञजन!
यदुकुल-नलिन-दिनेश!
जय जय देव हरे ॥3॥
मधु-मुर-नरक-विनाशन! गरुड़ासन!
सुरकुल-केलि-निदान!
जय जय देव हरे ॥4॥
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

गीत गोविन्द -श्रील जयदेव गोस्वामी
सर्ग नाम पृष्ठ संख्या
प्रस्तावना 2
प्रथम सामोद-दामोदर: 19
द्वितीय अक्लेश केशव: 123
तृतीय मुग्ध मधुसूदन 155
चतुर्थ स्निग्ध-मधुसूदन 184
पंचम सकांक्ष-पुण्डरीकाक्ष: 214
षष्ठ धृष्ठ-वैकुण्ठ: 246
सप्तम नागर-नारायण: 261
अष्टम विलक्ष-लक्ष्मीपति: 324
नवम मुग्ध-मुकुन्द: 348
दशम मुग्ध-माधव: 364
एकादश स्वानन्द-गोविन्द: 397
द्वादश सुप्रीत-पीताम्बर: 461

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